औरतनामा कोई लम्बा चौड़ा ग्रन्थ नहीं है | सिर्फ कुछ औरतों की कहानियां हैं, कुछ और औरतों के लिए | वे तमाम लोग जो अभी भी कहते हैं कि औरतों के लिए अलग से लिखने की ज़रुरत क्या है; वे लोग जो कहते हैं कि इतना लिखा तो जा रहा है, कहते हैं, हिंदुस्तानी औरतों के लिए पश्चिमी सोच जानना ज़रूरी क्यों है; लिखना है तो संस्कृति के बारे में लिखो; ऐसे लिखो; वैसे मत लिखो, आदि, आदि, इत्यादि..... औरतनामा उन सब के लिए है |
औरतनामा उन लोगों के लिए भी है, जिन्हें लगता है कि महिलाओं के लिए लिखा जाना बहुत ज़रूरी है | उनके लिए भारतीय संस्कृति में भी, और उसके इतर भी, लिखा जाना ज़रूरी है | उनके लिए अंग्रेजी, हिंदी और बाकी भाषाओं में भी लिखा जाना ज़रूरी है | उनके बारे में लिखा जाना ज़रूरी है |
और, औरतनामा उन लोगों के लिए भी है जिन्हें पढ़ना है |
मगर औरतनामा ख़ास तौर पर उन लोगों के लिए है जो कहते हैं क्या फ़र्क़ पड़ता है | क्योंकि जब फ़र्क़ पड़ने लगे तो हम आपके लिए, आपके साथ खड़े होंगे |
औरतनामा उन लोगों के लिए भी है, जिन्हें लगता है कि महिलाओं के लिए लिखा जाना बहुत ज़रूरी है | उनके लिए भारतीय संस्कृति में भी, और उसके इतर भी, लिखा जाना ज़रूरी है | उनके लिए अंग्रेजी, हिंदी और बाकी भाषाओं में भी लिखा जाना ज़रूरी है | उनके बारे में लिखा जाना ज़रूरी है |
और, औरतनामा उन लोगों के लिए भी है जिन्हें पढ़ना है |
मगर औरतनामा ख़ास तौर पर उन लोगों के लिए है जो कहते हैं क्या फ़र्क़ पड़ता है | क्योंकि जब फ़र्क़ पड़ने लगे तो हम आपके लिए, आपके साथ खड़े होंगे |